के वर्णन में भी उन्होंने श्रृंगार के उपयुक्त वस्तु सामने रखी है,
2.
कृशता, ताप, वेदना आदि के वर्णन में भी उन्होंने श्रृंगार के उपयुक्त वस्तु सामने रखी है, केवल उसके स्वरूप में कुछ अंतर दिखा दिया है।
3.
विभ्रांति (Hallucination): एक मिथ्या बत्यक्षण जिसमें संगत और उपयुक्त वस्तु के दर्शनीय उपीपक के रूप में न रहने पर भी वस्तु की वास्तविकता का बामयकारी बोमा होता है।
4.
साथ ही उत्पादक को लगे कि उसे अपने श्रम-कौशल का पूरा मूल्य प्राप्त किया है और उपभोक्ता को विश्वास हो कि उसे चुकाई गई कीमत के बदले में उपयुक्त वस्तु प्राप्त हुई है.
5.
यदि कोई उपयुक्त वस्तु नहीं मिलती थी, तो वह पास पड़ी टहनी से डंड़ी तोड़कर, या किसी चौड़ी तख़्ती से छिल्ली निकालकर या मुड़े हुए तार को सीध करके उससे काम चला लेता था।
6.
व्यावसायिक मात्रा में ग्रैफ़ाइट बनाने के लिए कोयला अथवा कार्बनयुक्त दूसरी उपयुक्त वस्तु को बालू (या ऐसे ही किसी अन्य ऑक्साइड) के साथ विद्युत् आर्क की विशेष प्रकार की भट्ठियों में लगभग 2000स् सें तक गर्म किया जाता है।
7.
मैं अभी भी अपने व्यक्तित्व की तलाश में भटक रहा हूँ...बचपन से एक निर्बाध झरने सा जंगल पहाड़ों को चीड़ते हुये बहते रहना मुझे हरदम अच्छा लगता था...तितलियों को उड़ते हुये देखता तो मन ललच जाता था उनके पंख चुराने को...कान्हा का मोरपंख मेरे मानस मे सबसे ज्यादा उपयुक्त वस्तु था खुद के शृंगार का...और बंसी की धुन पर राधा का नृत्य मन को उल्लासित करने का सबसे आसान उपाय...आज भी मेरे लिए ये सारे मौजूद हैं...ये हैं मेरी कल्पना में तो मैं हूँ...